Jean jacques rousseau biography in hindi
रस क जवन-परचय, रस क परमख रचनय
रस दरशनक, परखर वचरक तथ करतकर शकषशसतर
- जय जकवस रस एक महन दरशनक, परखर वचरक तथ करतकर शकषशसतर थ आधनक समज और शकष पर जतन अधक परभव रस क वचर क पड उतन शयद ह अनय कस दरशनक क समज क रढ़य और आडमबर क जस दढत स रस न वरध कय वह मनव इतहस म अभतपरव ह उनहन धरम, रजनत और शकष पर समज क परभवशल वरग क एकधकर क समपत कर उसम जनसमनय क हससदर पर जर दय पलट क आदरश अतमनव य लकततर मनव थ पर रस क आदरश ह परकतक मनव वह मनव क परकत क ओर लटन क लए पररत करत ह सथ ह शकष क दवर बचच क परकतक गण क समपत करन क वह वरध ह उसक मनन थ क शकष बचच क अवसथ, रच एव आवशयकत क अनरप हन चहए वसतत: बल कनदरत शकष' क सदधनत रस क कलजय वचर और रचनओ पर ह आधरत ह
रस कन थ ?
- रस एक करतकर परगतशल वचरक थ उसक वचर न शकष क सदधनत एव परकरय क वयपक रप स परभवत कय अत रस क शकष क सदधनत क समझन शकष क हर वदयरथ क लए आवशयक ह
रस क जवन-परचय
रस क जवन-वतत
- रस क जनम 28 जन, ई० क सवटजरलड क जनव नमक नगर म एक सममनत परवर म हआ थ उसक पत एक फरसस घडसज थ जनम क तरनत बद रस क मत क दहनत ह गय उसक दखभल उसक चच न क ज लपरवह थ उसक पत और भ लपरवह थ व वयरथ क उपनयस पढत थ- रस क इन उपनयस स कलपन, सवदन एव बचपन म ह अधकचर परढत मल इस तरह स रस न सवचछनद जवन बतन शर कर दय नरददशय इधर-उधर भरमण करन क दर म वह सवटजरलड क परकतक सनदरय स कफ परभवत हआ इसक अमट परभव उसक जवन पर पड सथ ह सवचछनदत क दर म वह बर सगत म आय और कई दरगण उसक वयकततव म आ गए चचर भई क सथ उसन कछ दन तक लटन सखन क परयतन कय पर ज कछ सख वह अवयवसथत एव खडत जञन थ
- बरह वरष क अवसथ म रस घर स भगकर छट-मट नकर करन लग कछ दन तक एक सवचछनद, पर आकरषक महल मडम वरनस क सथ सवय म रह बद म थरस लवसयर नमक महल स ववह कर वह परस म आ बस यह यह तथय महतवपरण ह क ययवर क इन दन क रस क वचर एव करय पर अमट परभव पड इस उददशयहन जवन क सदरभ म गरबज न उचत ह लख ह- "ज दन रस न घमककड म बतय, उनह म उसक मसतषक एव हदय पर परकत परम क अमट छप पड इनह दन नरधन और शषत क परत उसक हदय म सहनभत क लहर पद हई" अठरहव शतबद क मधय म फरस म फल हई समजक वषमतओ, नतक आडमबर और वयरथ क ऐशवरय परदरशन स रस क वशवस ततकलन समजक वयवसथ स उठ गय इस बच उसन मलटन, लक, हबस जस परसदध दरशनक क पसतक क अधययन कय फरस क समजकरजनतक सथत, रस क अपन अनभव तथ इन वदवन क कतय क सममलत परभव स रस क वचर म करतकर परवरतन आय
- रस क सरवपरथम तब परसदध परपत हई जब उसन डजन एकडम क नबनध परतयगत म ई0 म "हज द परगरस ऑफ सइनसज एणड आरटस कनटरबयटड ट करपट ऑर पयरफय मरलट ?" (वजञन और कल क परगत क परणम नतकत म वदध य गरवट ह?) रस क उततर थ वजञन और कल क परगत स नतकत म गरवट आई ह इस नबनध क करण कल तक क भटकत इनसन अनयस ह परसदध ह गय तन वरष बद पन इस एकडम म "मनव म असमनत क करण तथ यह परकतक नयम दवर सवकत ह य नह ?" ( हवट इज द ऑरजन ऑफ इनइकवलट एमग मन एणड इज इट आउथरइजड बय नचरल ल?) पर दसर नबनध समपरण यरप म परसदध ह गय इस उपनयस स वह एक महन परकतवद दरशनक क रप म सथपत ह गय जसन ततकलन समजक ससथओ क वरध कय
- रस अपन महतवपरण रचनओ : 'द नय हलवयज', 'द एमल' तथ 'द कनफसनश' क करण एक महन दरशनक क रप म परतषठत त हआ पर उसक जवन क अनतम दन कषट म बत वह अपमनत ह इगलड, जनव तथ फरस म भगत फरत रह अतत ई0 म फरस म उसक मतय हई ई0 म फरस क करत पररमभ हई फरस क करत क एक महतवपरण करक रस क करतकर वचर थ नपलयन न ठक ह कह थ: "रस क बन फरस क करत सभव नह थ " रस क न कवल एक दरशनक क रप म ह वरन महन करतकर क रप म भ परतषठ परपत हई
रस क परमख रचनय-
रस क परमख रचनय नमनलखत ह:-
- 'द परगस ऑफ सइनसज एणड आरटस',
- 'द ऑरजन ऑफ इनइकवलट एमग मन',
- 'डसकरस ऑन पलटकल इकनम',
- 'द नय हलवयज', 'द सशल कनटरकट',
- 'द एमल',
- 'कनसडरसन ऑन द गवरनमनट ऑफ पलणड',
- 'द कनफसनश' आद
- शकष क दषट स रस क सरवपरसदध रचन एमल ह जसम उसन एमल नम क एक कलपनक बलक क शकष दन क परकरय क वरणन कय ह
- शकष क दषट स द नय हलवयज ( ई०) भ महतवपरण ह इसम उनहन गह - शकष क वरणन कय ह इस पसतक म रस शश क परत मत क दयतव क वरणन करत हए उस पररमभक कल म सरवधक महतवपरण अधयपक कह